सृस्ष्टि का अक्ष
यह क्या है हाथ में तेरे
मुझे लगता है कायनात भी
यूंही गढ़ी गयी होगी
मिट्टी नहीं
दुनिया सारी की सारी
एक केंद्र बिंदु से घूमने लगती है
वह सब जो हिल गया था
एकाग्र हो जाता है
जैसे सृस्ष्टि को फिर से अपना
अक्ष मिल गया हो
मैं घंटो लगातार इन हाथों को देख सकती हूँ
मेरे भीतर का कुछ भी ठहर सा जाता है
मन की स्थिरता समाधान ढूँढने बंद कर देती है और
खुद समाधान बन जाती है
मैं घंटो लगातार इन हाथों को देख सकती हूँ
चाक की मिट्टी पर ठहरे हुए हाथ
तेरे हाथ
जो कायनात रच रहे हैं...
मेरे दोस्त तू बहुत कुछ है मेरे लिए
मगर मुझे तुझसे प्यार नहीं है
तेरे हाथों से लेकिन प्यार हो ही गया है |
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