Sunday, April 4, 2010

ऐसे क्यों है हवा?

वह एक जगह जहाँ
शब्द घुल जाते हैं सब
छू के भी न कहा
कुछ भी तो न कहा
फिर क्यों ऐसे है हवा?
भरी भरी घुली घुली
वह एक जगह जहाँ...

जो मैं कह नहीं रही
उसके शब्द नहीं हैं
और कुछ भी नहीं है
क्यों कुछ भी नहीं है?
फिर है क्यों भरा भरा?
फिर क्यों ऐसे है हवा?
भरी भरी घुली घुली
वह एक जगह जहाँ...

तुम्हारी नज़रों में कुछ है जो
मैं पढ़ नहीं सकती
मेरी हथेलियों को अपने हाथो में थाम लो
सुनो, शब्दों को - जाने दो ...

ऐसे क्यों है हवा? ऐसे क्यों है हवा? ऐसे क्यों है हवा?

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