Saturday, March 6, 2010

पकड़ के हाथ बैठा रहा - यह क्या कहा जाता है?

ये इससे क्या मतलब है की कहाँ हूँ
करती क्या हूँ ?
बस यह अहसास है कि तू नहीं है
बहुत कुछ कहा रहे हैं बहुत सारे लोग और
बहुत कुछ सुन रहे हैं, सुनाई नहीं देता कुछ भी

यह ऐसा क्यों है कि पूरा प्यार भी नहीं
सर उठा के कायनात से फिर मांग लूं तुझको
या जी भर के रो ही लूं
कि तू नहीं अपना - कि यह तड़प अकेली हैं, और तू कहीं और...

यह ऐसा क्यों है की पूरा प्यार भी नहीं
कि पूरे दर्द का हक हो, तेरा हक हो, तेरा हक न भी हो तब भी

यह ऐसा क्यों है कि, इस एक बार जब मुझको नहीं चाहिए शब्द - तो तुझको चाहिए...
पकड़ के हाथ बैठा रहा - यह क्या कहा जाता है?
पकड़ के हाथ बैठा रहा - यह क्या कहा जाता है?

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