Monday, March 8, 2010

गर्मास

चलो बाहर बैठ ज़रा चाय पीते हैं
अंगडाई ले रही है सुबह धीरे धीरे से

ठंडी बड़ी होगी अभी
और फर्श भी कुछ ठंडा सा
सुनो शाल लेते आना तो
ज़रा शाल लेते आना तुम

पूरी हथेली में पकड़ लो ग्लास - मज़ा आएगा
भर जाने दो उँगलियों से गर्मास - मज़ा आएगा
तुम चाय पीने लगो अब - अच्छा चलो बस, मत पियो
तुम मुझको देख के क्यों हंस रहे हो?

इतनी सी है सुबह, एक पल में निकल जायेगी
यह काम क्यों करते हैं हम? यह काम क्यों करते हैं हम?
अच्छा मुझे जवाब मत दो, पता है क्या कहोगे तुम
अच्छा कहो भी, तुमको ही तो सुनने को बैठी हूँ यहाँ
तुम मुझको देख के क्यों हंस रहे हो इस तरह ?

भर जाने दो उँगलियों से गर्मास - मज़ा आएगा....

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