Monday, March 8, 2010

हर बारिश बतानी है मुझे

किसी ने मुझे कहा था कभी
"मैं तो वह हूँ कि हर बारिश बतानी होती है मुझे"
और मुझे लगा था, कि हर बारिश सुननी है - तू बता, मैं सुनती हूँ..

मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही है
कि हर बारिश बतानी है मुझे
हाँ तू वोह नहीं, जिसे सुननी हो हर बारिश मेरी..
पर मेरा हाल कुछ ऐसा ही है

मैं जानती हूँ जहाँ जवाब ढूँढने को चलूंगी वहां
सवाल उठते जायेंगे
मैं जानती हूँ इस बारे मैं, खुद तक से नहीं की जा सकती बातें
या फिर ऐसा है, कि बस बातें ही की जा सकती हैं

कभी मन चाहता है, तेज़ बारिश हो और
तू भी बहे मेरी तरह, मेरे साथ, बिलकुल बेफिकर
यह अहसास तुझे जुदा है, छुए तुझे और छू के फिर,
कुछ बावरा सा कर दे यह
मैं जहाँ हूँ तू वहां हो, उतनी किसी ऊंचाई पर,
और खुद से बिलकुल जुड़ा भी
और मुझसे भी जुड़ा हुआ..
यह अहसास
तुझे जुदा है....

और फिर संभल जाता है मन
मैं अपने ही हिचकोलों में, तुझको कहीं डुबो न दूं,
फिर, चुप ही हो जाता है मन..

पर हाल कुछ ऐसा ही है
कि हर बारिश बतानी है मुझे
हर बारिश बतानी है मुझे

0 comments: