Thursday, March 18, 2010

कहाँ?

अनजानी उमीदों पे खड़ा सफ़र,
खड़ा है रूककर?
या चलता जा रहा है?
मैं कहाँ जा रही हूँ?
या खड़ी हूँ?
कहाँ?

सवाल कुछ ऐसे हैं
क्या मैं पानी पे चल पाउंगी?
क्या गिरते गिरते गिरना भूल कर कभी
उड़ने लग जाउंगी?
क्या तुम्हे मेरा अहसास भर भी है?
हो तो क्या? और न हो तो क्या?
क्या मैं पानी पे चल पाउंगी?
क्या गिरते गिरते गिरना भूल कर कभी
उड़ने लग जाउंगी?

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