Thursday, March 4, 2010

थम

"थम जा", कह रहा है वो जो की
मेरे सिर के उपरी खाने में बेचारा
"हाय राम इसका क्या होगा"
इसकी रटन लगाये बैठा है

तू तो कह रही थी, तुझको बहना नहीं?
यह कैसा बवाल मचा के रखा है?
चलो तमीज़ से पेश आओ कुछ
ऐसे बच्चों की तरह बहते नहीं

और एक मैं हूँ मुझे पता है क्या हो रहा है
मैं अब बस बह रही हूँ
यह प्यार से, जीवन से, शब्दों से, भावनाओ से
दोस्तों से, रिश्तो से, फूलों और बारिशों से होता प्यार है
तुम तो बस वो कड़ी भर हो जो जोड़ रही है इसको
तुम नहीं हो यहाँ - यहाँ तो बस प्यार है. ..

लेकिन वो जो सिर के उपरी खाने में बैठ मेरी चिंता कर रहा है ना
उसे नहीं पता मेरा दिल, बड़ा बुद्धिमान है...
रुलाएगा यह सच है फिर भी
संभाल भी लेगा, संभाल भी लेगा ...

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