इंतज़ार
कभी करते हुए इंतज़ार तुम्हारा अगर
मैं थक के बैठ जाऊं कहीं
तुम्हे लगे, अब मैं
तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रही
कुछ बात न करूं तुमसे,
कुछ न कहने को हो न सुनने को
करोड़ों शब्दों की बकबक के बाद
एक दम ख़ामोशी मिले
अगर तुम्हे लगे - अजीब सा
जैसे कभी वक़्त बीत जाता है
याद करना जनम दर जनम सदी दर सदी
मैं बस प्यार किया है तुमसे, और इंतज़ार
अब आओगे, अब आओगे, अब आओगे...
मेरे शब्द तो कहीं चार जनम पहले ही बीत गए
और कुछ सोल्हा जन्मों से थकी हूँ
पिछले सात जन्मों से हारी हुई हूँ
उनमे से तीन में बडबडाती रही
और चार, चुप पड़ गयी
तुम्हे लग रहा है मुझे इंतज़ार नहीं, प्यार नहीं?
शायद जीता जगता इंसान ही नहीं वहां, जहाँ मैं थी
छुओ उस पत्थर को, थामे रहो थोड़ी सी देर
कुछ गर्मास मिलेगी तो पिघल जायेगा
मैं बस इस उम्मीद पे जिंदा हूँ
तुम आओगे, फिर से जीना भी आ जायेगा |
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