Thursday, March 4, 2010

काम करने दो, याद मत आओ..

हद है दिन की
जिस तरह शुरू होता है आजकल
हटो जाओ, यूँ सुबह सुबह
काम करने दो, याद मत आओ

दिन चढ़ते चढ़ते दूभर कर दोगे
मेरा जीना, मेरा मरना, सांस लेना मेरा
अब मैं बीस साल की नहीं हूँ, दिन मैं और भी बहुत कुछ करने को
हटो जाओ ना ... याद मत आओ

मेरा बस चले तो बाँध ही लूं समय
मेरा बस चले तो तुम हंसो ज्यादा
मेरा बस चले तो कुछ भली सी हो दुनिया
मेरा बस, चल तो नहीं सकता ना

यह क्या जिद है, दिन के चढ़ते ही
मेरी आँखों में हसने लगते हो?
हटो जाओ, यूँ सुबह सुबह
काम करने दो, याद मत आओ..

जाओ ना...

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