Saturday, March 6, 2010

खुशबू वाली बारिश..

खुशबू वाली बारिश..
यह तो मुझे तब भी भाती है जब प्यार नहीं होता
फिर इसी से हो जाता है प्यार सारा
सब कुछ महकने लगता है
मुझे मेरा चहरा और मुस्कान महसूस होने लगते हैं
सुन्दर भी लगता है अपने आप में
ऐसे जैसे इस खुशबू को भी प्यार हो मुझसे
में इसकी आँखों में पूरी हो जाती हूँ
और यह मेरी...
खुशबू वाली बारिश..

हल्कि हल्कि सी ठण्ड
कभी तेज आवाज़, कभी धीमे,
टिप टिप टिप टिप
हौले से कहती है कभी
हड़का भी देती है कभी
जी करता है बाहें हो इसकी
और उनमे समां जाऊं
फिर महसूस भी होतीं है ...
खुशबू वाली बारिश..

0 comments: