Monday, March 8, 2010

ख़ामोशी किससे बाटूँ

किसी ने पुछा था कभी
की तब जब तुम्हारे जीवन में
इतने लोग हैं
और वोह सब ऐसे हैं की जिनसे तुम प्यार करती हो
और वह तुमसे
तो फिर तुम इतनी अकेली क्यों हो?
कैसे हो सकती हो?

मैंने कहा था ऐसा इसलिए है
कि जबकि मैं उनके जीवन में ज़रूरी हूँ
सबसे ज़रूरी नहीं
इसको समझने में, इतना मुश्किल क्या है?

लेकिन अकेलापन सिर्फ यह नहीं होता

दोस्तों से अक्सर बातें होती हैं करने को
तब क्या करो जब बातें सब हो चुकी हों
और अभी नयी पैदा न हुई हों
या इतनी छोटी हों कि 'बातें' ही न हो वह

ख़ामोशी किससे बाटूँ?

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